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Posted on Mar 24, 2023 | By Dr. Arvind Kumar Goyal
हमारे हृदय में चार वाल्व होते हैं। जिसमें से सामान्यतः बिमारिया एऑर्टिक और माइट्रल वाल्व की होती है। यदि बीमारी इन वाल्वो में हो तो इनको रिप्लेस करने की आवश्यकता पड़ती है। जो युवा 50 साल से कम उम्र के वयस्क होते हैं, उनमें ज़्यादातर माइट्रल वाल्व रिप्लेस होता है और उसके बाद एऑर्टिक वाल्व है, जिसमें डीजेनरेटिव कैल्सिफ़िकेशन होता है और उसका रिप्लेसमेंट होता है।
हार्ट वाल्व का रिप्लेस या रिपेयर करना निश्चित रूप से एक बड़ी सर्जरी है जिसे हम ओपन हार्ट सर्जरी भी कहते हैं। इसमें हम हृदय को बंद कर देते है और जो हृदय और लंग्स का काम होता है वो मशीन करती है, जिसको हार्ट लंग मशीन भी बोला जाता हैं। इसमें हम रोग से प्रभावित खराब वाल्व को निकाल देते हैं और उसकी जगह एक नया वाल्व लगा के हृदय को वापस चालू कर देते हैं।
हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट के प्रकार:
वाल्व रिप्लेसमेंट के प्रकार की बात अगर हम करें तो वाल्व को रिप्लेस दो प्रकार से किया जाता हैं-
1. छाती के सामने की हड्डी को काट कर
2. मिनिमल इनवेसिव सर्जरी
हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट में छाती के सामने की हड्डी को काट दिया जाता है, जो कि ओपन हार्ट सर्जरी का पारंपरिक तरीका है। और इसके अलावा भी एक नई तकनीक है जिसको मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी (minimally invasive surgery) भी बोलते हैं, जिसमें हम पसलियां(Ribs) के बीच से जाकर छोटा-सा 5-6 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर भी वाल्व को रिप्लेस कर सकते हैं। और दूसरा वाल्व रिप्लेसमेंट को वर्गीकृत करने का तरीका यह है कि किस प्रकार का वाल्व हम लगाएंगे। मेटालिक वाल्व की आयु काफी होती है, 25-30 साल चल जाते हैं। और एक होता है, बायोप्रोस्थेटिक वाल्व जो पेरिकार्डियम से या किसी जानवर के हृदय के चारों तरफ जो झिल्ली होती है (पेरिकार्डियम), उससे बनाया जाता है। इस नए वाल्व की आयु 12 से 15 साल कि होती है। इसको हम बायो प्रोस्थेटिक वाल्व रिप्लेसमेंट बोलते हैं।
वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद अधिकतर मरीजों को, जिनमें हम मैकेनिकल वाल्व डालते हैं, उनमें हम खून पतला करने वाली दवाई चालू रखते हैं। ये खून पतला करने वाली दवाई हमारे कई खाद्य पदार्थ के साथ इंटरैक्ट करती है। जो गोभी फैमिली की सब्जियां हैं, जैसे गोभी, बंद गोभी, टमाटर, शलगम और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी हम मरीजों से इनका सेवन न करने की या बिल्कुल कम करने की सलाह देते है।
दूसरा बात यह है की, हृदय की गति अनियमित या तेज ना हो इसके लिए चाय, कॉफी और शराब का सेवन हम मरीजों के लिए वर्जित कर देते हैं।
हमारे पास दो तरह के मरीज़ आते हैं। एक है युवा मरीज़ जिनकी उम्र 30- 40 साल की होती हैं. और दूसरे 60 साल के आसपास के मरीज़ होते हैं जो हमारे पास वाल्व बदलवाने के लिए आते हैं। तो जो युवा मरीज़ होते हैं उनमें हमें एक ऐसा वाल्व लगाते हैं जिसकी आयु काफी हो और मरीज़ को दोबारा ऑपरेशन की आवश्यकता ना पड़े। तो ऐसे वाल्व को हम मैटेलिक वाल्व बोलते हैं जो मेटल के बने होते हैं। यह 30 - 40 साल आराम से चलते हैं। जब तक आप खून पतला करने वाली दवाई निरंतर और ठीक से खाते रहेंगे और हृदय की जांच करवाते रहेंगे तो इनमें कोई दिक्कत नहीं होती है। दूसरे वाल्व जो है, हमारे एजेड पॉप्युलेशन के लिए उपयोग किए जाते हैं। उनको हम बायो प्रोस्थेटिक वाल्व बोलते हैं। ये पेरिकार्डियम होता है, जो जानवर के हृदय के चारों तरफ एक झिल्ली होती है, उससे बनाया जाता है। इसकी औसत उम्र 15 से 20 साल के लगभग होती है। इसमें हमें खून पतला करने की दवाई खाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, इसलिए इसका उपयोग वृद्ध लोगों में किया जाता है।