Apr 25, 2022
गुड़गांव, 02 मई 2018ः वैष्विक स्तर पर चार में से एक महिला की मौत हृदय गति रूकने (कार्डियक अरेस्ट) के कारण होती है, क्योंकि महिलाएं इस बीमारी का सही इलाज नहीं कराती हैं और न ही उन्हें पता चलता है। प्रत्येक वर्ष लगभग 4,25,000 महिलाओं में कार्डियक अरेस्ट होता है, जो पुरुषों की तुलना में 55,000 अधिक है। आमतौर पर अचानक कार्डियक अरेस्ट की संभावना उन लोगों में अधिक है, जो पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित हैं। लेकिन, आजकल ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं, जो दिखने में स्वस्थ्य है और न ही उन्हें कोई दिल की बीमारी है, इसके बावजूद हृदय घात हो रहा है। आजकल, कार्डियक अरेस्ट होना महिलाओं में बहुत आम हो गया है।
डॉ. डीण् केण् झांब. विभागाध्यक्ष एवं एचण् ओण् डी हृदय रोग विज्ञान कहते हैं, ष्देश में एक अनुमान के मुताबिक करीब 03 लाख व्यक्तियों की मौत अचानक हृदय गति रूकने से होती है। हालांकि 70 प्रतिषत महिलाएं, जिनकी मौत अचानक हृदय गति रूकने से होती है, उन्हें पहले कोई भी दिल की बीमारी नहीं रहती है। अधिकांष महिलाओं को पता ही नहीं होता है कि डॉक्टरों को दिखाने से पहले ही उन्हें एक या दो बार दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ चुका होता हैै। स्वस्थ्य होने का मतलब यह नहीं है कि आप हृदय रोग से मुक्त है। अब, दिल का दौरा बहुत कम उम्र में पड़ने लगा है। अधिक तनाव वाली लाइफस्टाइल और कैल्शियम के निम्न स्तर के कारण 30 से 40 वर्ष की आयु के व्यस्क नए हाई रिस्क कैटेगरी के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं ष् ।
बहुत से लोग सोचते हैं कि हृदय गति रूकना (कार्डियक अरेस्ट) और दिल का दौरा पड़ना (हार्ट अटैक) दोनों एक है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। दोनों में बुनियादी अंतर यह है कि हार्ट अटैक में दिल के किसी एक हिस्से में रक्त प्रवाह रूक जाता है और उसे क्षति पहुंचाता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट एक तरंगीय समस्या है, जहां दिल पूरी तरह काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति की नब्ज़ नही रहती है और वह अचेत हो जाता है। अचानक कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अप्रत्याशित रूप से धड़कता रहता है, अन्य सभी महत्वपूर्ण शरीर के अंगों में रक्त प्रवाह को बाधित करता है। यदि उचित चिकित्सा नहीं मिलती है तो कुछ ही मिनटों में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
हृदय रोग के प्रमुख कारण और लक्षण पर टिप्पणी करते हुए डॉ. अमित भूषण यूनिट हेड एवं एसोसिएट डायरेक्टर.इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी कहते हैं, ष् महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लक्षण अधिक स्पष्ट हैं। पुरुषों में, दिल का दौरा पड़ने पर सीने में अत्यधिक दर्द और तेजी से पसीने छूटते है। महिलाओं में दिल का दौरा बहुत छोटा और कम समय के लिए होता है ष् । महिलाओं दस में से आठ मामले में कार्डियक अरेस्ट हार्ट में ब्लॉकेज के कारण होता है। महिलाओं में अचानक कार्डियक अरेस्ट के प्रमुख कारणों में एक कैल्शियम का निम्न स्तर होना भी है। 09.55 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक कैल्शियम की तुलना में 8.95 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (डीएल) से कम कैल्शियम स्तर वाली महिलाओं में 2.3 गुना अधिक कार्डियक अरेस्ट होने की संभावना होती है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी के जोखिम के प्रति कम जागरूकता होने के कारण वहां कम उम्र में बीमारी से पीड़ित हो रही हैं और उनकी संख्या भी बढ़ रही है।
खाने में अधिक वसा, कार्बाेहाइड्रेट्स, पनीर और देर रात खाना खाने की आदत, जैसे अस्वस्थ्य लाइफस्टाइल और बदलते खानपान की आदत की वजह से दिल की बीमारी बढ़ रही है। इसके साथ कम शारीरिक मेहनत, शराब का सेवन, धुम्रपान और उच्च रक्त चाप के कारण महिलाआंे में दिल की बीमारी बढ़ रही है।
डॉ. अमित भूषण यूनिट हेड एवं एसोसिएट डायरेक्टर.इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी कहते हैं, ष्पुरुषों के विपरीत, महिलाओं के पास बच्चें, माता-पिता और परिवार की देखभाल करने की जिम्मेवारी है। इन सबका देखभाल करने के बीच वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान रखना भूल जाती है और खुद धीरे-धीरे बीमारी से घिर जाती है। उन्हें भी स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए नियमित जांच कराना चाहिए। उचित आहार लेना और नियमित व्यायाम के जरिये रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करना चाहिए। जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाएष् ।
यह शिक्षित करना महत्वपूर्ण है कि कार्डियक अरेस्ट के जोखिम से कोई भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सकता है और कैल्सियम के स्तर की जांच करना और उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा जैसे जोखिम कारकों को कम रखना महत्वपूर्ण है।