Apr 25, 2022
विष्व हीमोफिलिया दिवस के मौके पर पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषिलिटी हॉस्पिटल में आयोजित गोष्ठी में हॉस्पिटल के हिमैटोलॉजिस्ट डॉ. अविनाष कुमार सिंह ने कहा यह बीमारी अनुवांषिक है जिसमें मां कैरियर होती है, बिना किसी चोट या कटे शरीर से खून का बहना, जोड़ों का फूलना तथा शरीर पर लाल–लाल फूला धब्बा निकलना भी हैं इस बीमारी के लक्षण है।
पटना, 16 अप्रैल 2019 : विश्व हीमोफिलिया दिवस के मौके पर पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, राजा बाजार, पटना में आज बुधवार 17 अप्रैल को एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में हिमैटोलॉजी तथा बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि यदि किसी बच्चे को जोड़ों में सूजन आए या दांत या नाक से खून बहने लगे तो बच्चे के माता–पिता तत्काल रक्त रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए। यह लक्षण हीमोफिलिया के हो सकते हैं। बिना चोट लगे या कटे खून का रिसाव शुरू हो जाए या शरीर में जहां–तहां लाल–लाल फूला हुआ धब्बा दिखे तो यह भी हीमोफिलिया के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के विश्व दिवस का मतलब है कि इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता लायी जाए। इस वर्ष के विश्व दिवस का थीम है ‘रिचिंग आउट–कनेक्ट टू योर कम्युनिटी’ यानी जिनको यह बिमारी है उनको आगे बढ़कर दूसरे अन्य मरीज से मिलकर अपनी बातों को रखना चाहिए।
डॉ. सिंह ने कहा कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है। मां इसका कैरियर होती है और यह बीमारी सिर्फ लड़कों में होती है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है। पहला हीमोफिलिया ए। यह फैक्टर आठ की कमी से होती है जबकि दूसरा हीमोफिलिया बी फैैक्टर 9 की कमी से होती है। हीमोफिलिया ए 5 से 10 हजार में से एक बच्चे को होती है जबकि हीमोफिलिया बी 30 हजार में से एक बच्चे को होती है। इसका सबसे बड़ा इलाज है बच्चों को चोट और दर्द की दवा से बचाव करना ताकि रक्तस्राव न हो। जोड़ों के सूजने पर बर्फ को कपड़े में बांध उसे सेंकना चाहिए। रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए फैक्टर का इंजेक्शन भी देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में हीमोफिलिया से पीड़ित गंभीर बच्चों को प्रोफाइलैक्टिक फैक्टर का इंजेक्शन दिया जाता है लेकिन यह काफी खर्चीला है। हीमोफिलिया के मरीजों को कुछ फैक्टर का इंजेक्शन घर में रखना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उसे जल्द से जल्द लगाया जा सके।