Apr 25, 2022
पटना, 04 अक्टुबर 2017 । पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषिलिटी हाॅस्पिटल, राजाबाजार, पटना में एक बहन ने अपना स्टेम सेल, देकर ब्लड कैंसर से जूझ रहे अपने 25 वर्षीय इंजीनियर भाई की जान बचा दी। पारस बिहार-झारखंड का पहला हाॅस्पिटल है जहाँ पहली बार एलीजेनिक ट्रांसप्लांट किया गया है। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट इलाज की जटिल विधि है जिसमें गंभीर संक्रमण रक्तसाव, म्यूकोसाइटिस (मुंह में अत्याधिक छाले का पड़ना) की संभावना रहती है, इसलिए ऐसे मरीज का इलाज विषेष तरह के बीएमटी सेटअप में किया जाता है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करने वाले डाॅ. अविनाष कुमार सिंह ने बताया कि बक्सर का युवा इंजीनियर एएमएल (एक्यूट माइलाॅड ल्यूकेमिया) बल्ड कैंसर से पीड़ित था पर उसकी बहन से स्टेम सेल लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया। यह इस तरह के कैंसर के लिए जड़ से बीमारी को समाप्त करने वाला इलाज है। पहले मरीज को तीन सप्ताह के लिए पारस कैंसर सेंटर के बीएमटी ;ठडज्द्ध यूनिट में भर्ती किया गया। इसके बाद बहन से निकाला हुआ स्टेम सेल मरीज को चढ़ाया (ट्रांसप्लांट) गया। लगभग दो सप्ताह के बाद मरीज में खून का बनना शुरू हो गया और वह धीरे-धीरे स्वास्थ हो गया। अब उसका कैंसर जड़ से समाप्त हो चुका है।
डाॅ. सिंह ने बताया कि इस प्रक्रिया से डोनर को डरने की जरूरत नहीं है। डोनर को न किसी प्रकार की समस्या होती है और न हीं उसे अन्य बीमारी होने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि बहन ने स्टेम सेल देकर एक मिसाल कायम की है, वहीं डोनर ने बताया कि इस प्रक्रिया के दौरान तथा बाद में भी उसे कोई तकलीफ नहीं हुई और वह स्वस्थ है। डाॅ. सिंह ने बताया कि खून से संबंधित बीमारियां जैसे बल्ड कैंसर, एप्लास्टिक एनीमिया, थैलीसिमिया, एमडीएस में बोन मैरो ट्रांसप्लांट बीमारी का शर्तिया इलाज है।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट दो तरह से किया जाता है-
(1) आॅटो लोगस-इसमें मरीज से स्टेम सेल लिया जाता है जबकि (2) एलोजेनिक ट्रांसप्लांट में भाई या बहन से स्टेम सेल लिया जाता है।
एम्स के एक समारोह में भाजपा सांसद और सीनियर अभिनेता शत्रुधन सिन्हा ने पारस एचएमआरआई की खुली तारीफ की। उन्होंने कहा कि पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल बिहार में उत्कृष्ट स्वस्थ्य सेवा प्रदान कर रहा है।