Apr 25, 2022
दरभंगा, 12 जनवरी 2019: आहार विज्ञान दिवस के मौके पर पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा में एक स्वास्थ्य परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में आए सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए हाॅस्पिटल की आहार विशेषज्ञ अंकिता झा ने कहा कि बिहार सहित देश के बच्चों तथा महिलाओं में खून की बेहद कमी है जिसके लिए स्वस्थ्य आहार की जरूरत है। खून की कमी यानी एनीमिया पर काबू पाने के लिए ताजा हरी सब्जियां, दूध, पनीर, फल, मांस-मछली, बादाम का सेवन करना चाहिए। इनके सेवन से शरीर में खून की कमी नहीं होगी। फाॅलिक एसिड हमारे खून में रेड ब्लड सेल्स (आर.बी.सी.) के निर्माण को बढ़ा देता है जिससे शरीर में खून की कमी नही होती। उन्होंने कहा कि खून में विटामिन बी 12, बिटामिन सी, फाॅलिक एसिड की जरूरी मात्रा रहना आवश्यक है, इसलिए उपरोक्त वस्तुओं के सेवन से खून की कमी नहीं हो पायेगी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य आहार एनीमिया से निजात दिला सकता है।
उन्होंने एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि बिहार में छह महीने से लेकर 59 महीने तक के आयु के 63 प्रतिशत बच्चे, 15 वर्ष से लेकर 49 वर्ष की आयु तक की 60.3 फीसदी महिलाएं एवं 58 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। पटना शहर के बारे में उन्होंने कहा कि यहां पर छह महीने से 59 महीने के आयु तक 51.4 प्रतिशत बच्चे तथा 15 वर्ष से 49 वर्ष की आयु तक की 67.2 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। देश की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में 6 महीने से 59 महीने के आयु तक के 58 प्रतिशत बच्चे तथा 49 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं।
उन्होंने कहा कि एनीमिया के कारण आर.बी.सी. की कमी हो जाती है और इससे शरीर में आॅक्सीजन कम जाता है। आॅक्सीजन की कमी से मस्तिष्क भी प्रभावित होने लगता है। एनीमिया पीड़ित मरीजों में सोचने-समझने की क्षमता कमने लगती है, उसकी त्वचा पीली पड़ने लगती है। वह जल्दी थक भी जाता है। इसके अलावा सांस लेने में दिक्कत होती है तथा धीरे-धीरे वह हृदय को भी आघात पहुंचा सकता है।
एनीमिया के लक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि आंखें पीली या लाल हो जाती हैं, त्वचा पीला पड़ जाता है, सांस लेने में तकलीफ होती है और पैखाने का रंग भी बदल जाता है। उन्होंने कहा कि एनीमिया इतना घातक है कि वह दिल का दौरा पड़ने का कारण भी बन सकता है। इसलिए इस बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।