Apr 25, 2022
डॉ. अनुप कुमार जिन्होंने निपास वायरस की पहचान की वे भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे
गुड़गांव, 17 जून, 2018 ए वायरल संक्रमण के गंभीर मामलों के प्रंबंधन में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए, द्वितीय राष्ट्रीय वार्षिक संगोष्ठी ने निपाह जैसे जानलेवा वायरस के मामले में हुई त्वरित कार्रवाई की सराहना की।
केरल में निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों से अन्य लोगों में इसके प्रसार को रोकने के लिए की गई त्वरित काईवाई एक महत्वपूर्ण कदम था। वायरस अब नियंत्रित है, लेकिन निपाह प्रभावित रोगियों ने लंबी अवधि के लिए अन्य मरीजों के साथ उस जगह को साझा किया है, ऐसे में प्रकोप को संभालना थोड़ा मुश्किल होगा, डॉ. तापेश बंसल, विभाग प्रमुख, क्रिटिकल केयर और सीनियर कंसल्टेंट, सम्मेलन के आंतरिक चिकित्सा और आयोजन सचिव, पारस अस्पताल, गुड़गांव ने ये कहाश्।
निजी अस्पताल, कालीकट में क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. अनूप कुमार ए एस भी निपाह प्रकोप पर अपनी राय देने के लिए इस सम्मेलन में मौजूद थे। डॉ. कुमार किसी रोगी में इसके अप्राकृतिक लक्षणों को पहचानने वाले पहले व्यक्ति थे, जिसे बाद में निपाह वायरस के रूप में पहचाना गया।
मुझे आमंत्रित करने और पाए गये नए संक्रमण की व्याख्या करने के लिए एक शानदार मंच प्रदान करने के लिए मैं पारस गुड़गांव का आभारी हूं। ऐसे नई बीमारियों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए ऐसे सत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं।ष् डॉ. अनुप अनुप कुमार ने ये कहा।
रोगी में तीव्र एन्सेफलाइटिस के लक्षण दिखे थे लेकिन उसका रक्तचाप बढ़ रहा था और नाड़ी की गति धीरे-तेज हो रही थी। यह स्थिति तेजी से विकसित हो रही थी और हमें इसे रोकने के लिए तुरंत कुछ करना था। तो जब हमें यह यकीन हो गया कि यह स्थिति अप्रत्याशित है, तो हमने पहले उसे अन्य रोगियों से अलग कर दिया। हमने परीक्षा के लिए उसके रक्त के नमूने भी भेजे ताकि उपयुक्त उपचार किया जा सके, और यह सब बहुत तेजी से हुआ। ऐसी परिस्थितियों में समय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा।
निपाह वायरस फ्रूट बैट के जरिये हुआ है और पिछले महीने से केरल में 17 लोग इसकी चपेट में हैं। सरकार ने इस हफ्ते घोषित किया कि अब यह वायरस नियंत्रित है लेकिन स्वास्थ्य विभाग संभावित पुनरावृत्ति के बारे में भी सतर्क है।
श्संक्रमण और वायरल बीमारियों का क्षेत्र बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन की वजह से नए वायरस को बढ़ने का मौका विकसित किया है, जबकि वर्तमान में उन दवाओं और एंटीडोट्स को विकसित किया गया है जो संक्रमण लोगों में फैले हैं। इन दोनों परिदृश्यों में स्वास्थ्य चिकित्सकों के सामने एक बड़ी चुनौती है जो दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं। यह संगोष्ठी स्वास्थ्य संबंधी मामलों के लिए एक बेहतरीन चर्चा थी कि हमें इसके लिए कैसे तैयार रहना चाहिए और इसमें हमारे संदेह और प्रश्नों को हल करने में मदद भी मिली। डॉ. नीरज बिश्नोई, पारस अस्पताल गुड़गांव में फैकल्टी डायरेक्टर, ने ये कहा।
द्वितीय वार्षिक संगोष्ठी ने मुख्य रूप से एंटरोवायरस, साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी), खतरनाक स्वाइन फ्लू, वायरल एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क संक्रमण) के अलावा डेंगू और रेबीज जैसी वायरल स्थितियों के बारे में भी चर्चा की।
संक्रामक बीमारी और महत्वपूर्ण देखभाल के क्षेत्र में प्रमुख चिकित्सकीय चिकित्सक प्रोफेसर आर. गुलरिया (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), डॉ. आरके मणी (समूह सीईओ और अध्यक्ष क्रिटिकल केयर, पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन, नयति मेडिसिटी, मथुरा), डॉ. सुभाष टोडी (निदेशक, क्रिटिकल केयर, एएमआरआई अस्पताल, कोलकाता), डॉ. सुब्रमण्यम स्वामीनाथन (संक्रामक रोग परामर्शदाता, ग्लोबल हास्पीटल), प्रो. पी सेठ (माइक्रोबायोलॉजी, एम्स के पूर्व विभागाध्यक्ष), डॉ. (प्रोफेसर) जॉर्ज एम वर्गीज (प्रोफेसर, संक्रामक रोग, सीएमसी – वेल्लोर), डॉ. प्रह्लाद कुमार सेठी (एमरिटस कंसल्टेंट और पूर्व अध्यक्ष, न्यूरोलॉजी विभाग, सर गंगा राम अस्पताल), डॉ. प्रसाद राव (निदेशक, आंतरिक चिकित्सा, मेडांता मेडिसिटी), डॉ. बीके राव (अध्यक्ष, क्रिटिकल केयर, सर गंगा राम अस्पताल), डॉ. यतीन मेहता (अध्यक्ष, क्रिटिकल केयर, मेदांता), और डॉ. आर चावला (क्रिटिकल केयर, अपोलो) इस सम्मेलन में उपस्थित थे।