Apr 25, 2022
दुमका से आये 45 वर्षीय विरेन्द्र काफी दिनों से परेषान थें। उनकी परेषानी का कारण ये था कि जब भी वो मल त्याग करने जाते थें तो उनको काफी दर्द महसूस होता था। साथ हीं मल के साथ खून के थक्के भी नजर आते थें। उन्होने दुमका में कई डाक्टरों को दिखाया पर विरेन्द्र को कोई राहत महसूस नहीं हुई। वहाॅ के डाक्टरों द्वारा दी गई दवाईयों से थोड़ी राहत तो मिलती थी पर बिमारी से पूरी तरह निजात नही मिली। उनकी इस हालत को देखते हुए परिवार वाले काफी परेषान रहने लगें। फिर उनके रिष्तेदार ने पारस एचएमआरआई अस्पताल में जाकर डाक्टर चिरंजिव खंडेलवाल से दिखाने की बात कही। रष्तेदार की सलाह पर विरेन्द्र पारस एचएमआरआई अस्पताल के ओपीडी में आकर डाक्टर चिरंजिव खंडेलवाल से मिलें।
डाक्टर चिरंजिव खंडेलवाल ने विरेन्द्र कीे रिपोर्ट को बहुत हीं गौर से निरिक्षण किया जिसमें एक माॅस का टुकड़ा निकला जिसे देखकर यह पता चला कि यह कैंसर का जख्म है जिसकी वजह से खून रीसता है। डाक्टर खंडेलवाल ने अपने अनुभव एवं प्रयास के जरिये विरेन्द्र के आॅत़/मल द्वार के कैंसर को निकाल दिया और मषीन की मदद से आॅत को मल द्वार से सकुषल जोड़ दिया। इस विधि में अल्पविधि के लिये भी उपर मल द्वार बनाया जाता है पर कठिन जगह पर भी सफलता से जोड़ देने पर टेम्पररी कोलोस्टोमी (पेट में मल द्वार) को छोड़ दिया गया। मरीज शीघ्र हीं पूर्णतः खाना खाने लगा और खून का श्राव भी बंद हो गया। पर कैंसर होने के कारण विकिरण चिकित्सा (त्ंकपंजपवद ज्ीमतंचल) भी दी गई है और अभी मरीज पूर्णतः ठीक है।
डाक्टर प्रोफेसर चिरंजिव खंडेलवाल के अनुसार कुछ वर्ष पहले इस तरह की बीमारी में मरीज का मल द्वार पेट में बनाया जाता था और अस्पताल में काफी दिन रहना पड़ता था। पर पारस अस्पताल में उच्चस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था की वजह से विरेन्द्र को इन समस्याओं से नहीं जूझना पड़ा और उन्हें अस्पताल से जल्द हीं छुट्टी मिल गई। विरेन्द्र की बीमारी ठीक हो जाने से उसके परिवार वाले की चेहरे पर मुस्कान वापस आ गई। विरेन्द्र और उसके परिवार वालों ने पारस अस्पताल की उच्चस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था की खूब तारीफ की और साथ हीं डाक्टर प्रोफेसर चिरंजिव खंडेलवाल का दिल से शुक्रीया अदा किया।