Apr 25, 2022
पारस हॉस्पिटल दरभंगा की विशेष टीम ने मिल कर बचाई 70 वर्षीय दरभंगा निवासी की जान I अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में लाई गयी थी बेहोश, सांस लेने में तकलीफ और तेज़ बुखार से थी ग्रस्त I डॉ प्रशांत कुमार (नेफ्रो रोग विशेषज्ञ) और डॉ मक़सूद आलम (छाती रोग विशेषज्ञ) ने प्रदान किया विश्वसनीय और उचित उपचार I
कैलाशी देवी कई दिन से बुखार से ग्रस्त थी और उनको सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी I उनको कई साल पहले पता चला था की उनको डायबिटीज है, पर उन्होने कोई दवाई या परहेज़ नहीं किया I एक हफ्ते से तकलीफ में रहने के बाद तेज़ बुखार के कारण वह बेहोश हो गयी I उनके घर वाले उनको तुरंत पास के हॉस्पिटल में लेकर गए जहाँ उनको पारस हॉस्पिटल दरभंगा जाने की सलाह दी गयी थी I
पारस हॉस्पिटल दरभंगा में श्रीमती कैलाशी देवी को इमरजेंसी विभाग में लाया गया जहाँ प्रारंभिक जांच से यह पता चला की उनकी दिल की धड़कन और सांस बहुत कमज़ोर हैं I अस्पताल के डॉक्टरों ने उनको तुरंत आई सी यू विभाग में एडमिट किया और एडवांस्ड जांच के लिए उनके सैंपल भेजे गए I
जांच से यह स्पष्ट हो गया कि उनकी सारी समस्याएं डायबिटीज की बीमारी से जुडी हैं और उनको डायबिटिक कीटो एसिडोसिस टाइप २ है, जिसके कारण उनकी किडनी और छाती दोनों पर विपरीत असर हुआ है I उनके इलाज के लिए मिथिला के प्रसिद्ध किडनी और छाती के विशेषज्ञ – डॉ प्रशांत और डॉ मक्सूद आलम के मिल कर काम किया और मरीज़ की नाज़ुक स्थिति के कारण मेडिसिन या दवाइयों से ही इलाज करने का निर्णय लिया गया I
डॉ प्रशांत कुमार, के अनुसार, ” डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है I भारत दुनिया का डायबिटीज कैपिटल कहलाया जाता है I यदि डायबिटीज का सही जीवनशैली, दवाइयों और आहार से रोकथाम न किया जाए तो एडवांस्ड रूप में किडनी फेलियर, हार्ट अटैक, लिवर और आँखों की रौशनी पर असर डाल सकता है I कैलाशी देवी जी के केस में कुछ ऐसा ही हुआ I मधुमेह के जटिलताओं के कारण उनके छाती में जकड़न हो रही थी और उनकी किडनी फ़ैल हो रही थी I कीटो एसिडोसिस टाइप २ में मरीज़ की खून में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो यदि सही समय पर न उपचार करने पर जानलेवा भी हो सकती है I
इसके लक्षण हैं बढ़ा हुआ ब्लड शुगर लेवल, मुँह का सूखना, ज़्यादा प्यास लगना एवं अधिक मात्रा में पेशाब आना I
यदि आपमें निम्न लक्षण हैं तो आपको तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लेने चाहिएः
– २ हफ्ते से ज़्यादा उलटी जैसा महसूस होना I
– पेट में दर्द होना I
– सांस में फल की गंध आना I
– ज़्यादा थकान महसूस होना I
– सांस लेने में तकलीफ होना I”
कैलाशी देवी का इलाज इस तरह किया गया की उनका ब्लड शुगर लेवल पहले कण्ट्रोल में लाया गया और उनके ब्लड से एसिड की बड़ी हुई मात्रा पर भी नियंत्रण किया गया I हॉस्पिटल और आई सी यू में १० दिन के बाद उनकी सेहत में सुधार आया और डिस्चार्ज के लिए तैयार हो गई I
कैलाशी देवी के बेटे सुधीर के अनुसार, ” हम पारस हॉस्पिटल और उनके डॉक्टरों की टीम के आभारी हैं की उन्होने सही उपचार प्रदान करके हमारी माँ को बचा लिया I उन्होने हमे इलाज के साथ जीवनशैली और डायबिटीज नियंत्रण के लिए दिशा निर्देश भी दिया I पारस हॉस्पिटल मिथिला का सर्वोत्तम अस्पताल हैं जहाँ उचित, सुलभ उपचार मिलता है और ज़रूरत में लोगों की मदद की जाती है I यहाँ सही इलाज कम खर्च में मिल जाता है और बड़े शहर की सुविधा अब दरभंगा में ही मिल जाती है I”