Apr 25, 2022
हॉस्पिटल के यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार, डॉ. शषि कुमार तथा डॉ. रिषी किषोर ने किडनी रोग से बचाव के तरीके बताये
पटना, 14 मार्च 2019 : विश्व किडनी दिवस के मौके पर आज गुरूवार 14 मार्च को पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, पटना के यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी तथा टा्रंसप्लांट के डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार ने आम लोगों को दिये अपने संदेश में कहा है कि अंगदान महादान है, इसलिए लोगोें को अपने सगे–संबंधियों की जान बचाने के लिए किडनी दान करना चाहिए। एक किडनी के निकल जाने से किसी के शरीर पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। इसलिए किडनी दान अवश्य करें। उन्होंने कहा कि पहले बिहार के लोग किडनी की बीमारी का इलाज या ट्रांसप्लांट कराने के लिए बिहार से बाहर जाते थे, लेकिन अब वैसी बात नहीं है, बिहार के पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट की व्यवस्था हो चुकी है तथा कई लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि किडनी की बीमारी से बचाव के लिए लोग अपनी जीवन शैली को स्वस्थ रखें तथा व्यायाम और योग किया करें।
हॉस्पिटल के दूसरे किडनी विशेषज्ञ डॉ. शशि कुमार ने कहा कि विश्व में किडनी की बीमारी तेजी से फैल रही है। 21वीं सदी में यह नयी महामारी के रूप में सामने आ रही है। यह विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली छठी बीमारी बन गयी है। इसलिए इसके बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी हो गया है। बीमारी के लक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि पैर में सूजन आये, भूख कम लगे, उलटी जैसा महसूस हो, सांस फूले, बार–बार पेशाब लगे तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डायबिटीज, बी.पी., मोटापा, इंफेक्शन, दर्द निवारक दवाइयों का अत्यधिक सेवन इसके मुख्य कारण माने गये हैं। इसके अलावा किसी के परिवार में अगर किडनी की बीमारी रही हो तो उस परिवार के सदस्यगणों को भी सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि 50 से अधिक उम्र के वैसे लोगों को जिन्हें डायबिटीज, बी.पी, पथरी रोग रहा हो तो उनको नियमित अपनी किडनी की जाँच करानी चाहिए। शुरूआती दौर में इस बीमारी के पकड़ में आ जाने पर इसका इलाज संभव है। अगर बीमारी आगे बढ़ती है तो फिर डायलिसिस और ट्रांसप्लांट ही विकल्प बच जाता है जो काफी खर्चीला और जटिलतम उपाय है।
हॉस्पिटल के एक अन्य किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. रिषी किषोर ने कहा कि किडनी रोग के लक्षण शुरू में पकड़ में नहीं आते हैं और जब वह पकड़ में आती है तब तक वह एडवांस स्टेज में पहुँच चुकी होती है। इसके बाद मरीज के पास इलाज के लिए डायलिसिस और ट्रांसप्लांट दो ही विकल्प बच जाते हैं जो काफी खर्चीला है। अपने देश में हर स्तर पर किडनी के इलाज के लिए अस्पताल भी नहीं उपलब्ध है। इसलिए लोगों को इस बीमारी के बचाव स्वरूप अपनी किडनी की जाँच नियमित करानी चाहिए तथा खान–पान और स्वस्थ जीवन शैली अपनानी चाहिए। बगैर डॉक्टर से सलाह लिये दर्द निरोधक दवा या एंटीबायोटिक दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए।