Apr 25, 2022
चार साल से बायें भाग में लकवा से जूझ रही महिला को हाॅस्पिटल के डाॅ. नासिब इकबाल कमाली ने सात घंटे तक ऑपरेशन कर दिलायी राहत |
मेननज्योमा नामक ट्यूमर के ऊपर तथा भीतर से खून की मोटी नलियां गुजर रही थी जिसमें जरा सी छेड़छाड़ से जा सकती थी मरीज की जान या हो सकता था पूर्णतः लकवाग्रस्त |
पटना 14 दिसम्बर 2018: पिछले चार साल से शरीर के बायें भाग में लकवा से जूझ रही पूर्वी चंपारण जिले की 53 साल की महिला का पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, राजा बाजार, पटना में जटिल और जोखिम भरा सात घंटे तक ब्रेन ट्यमर को ऑपरेशन कर उसे राहत दिलायी गयी। ऑपरेशन के दूसरे ही दिन से वह चल-फिर पा रही है और उसका हाथ भी सुचारू रूप से काम कर रहा है।
लकवा के अलावा उसका स्वभाव भी बदल गया था जिससे वह चुपचाप बैठी रहती थी। लखनऊ और वेल्लोर के बड़े अस्पतालों में भी उसे दिखाया गया पर कहीं भी उसका इलाज सिर्फ इसलिए नहीं हो पाया कि यह ऑपरेशन जटिल और रिस्की (जोखिम) था। वह मेननज्योमा नामक ट्यूमर से ग्रसित थी जिसे पूरी तरह से निकालने के बाद मरीज सामान्य तौर पर आजीवन स्वस्थ रहता है।
यह जानकारी देते हुए हाॅस्पिटल के ऑपरेशन करने वाले न्यूरो सर्जन डाॅ. नासिब इकबाल कमाली ने बताया कि बे्रन में जहां से हाथ-पैर के नसों का संचालन होता है, वहीं पर यह ट्यूमर था। ट्यूमर के ऊपर भाग से सटी एक नली थी जिसके द्वारा हार्ट से 20 प्रतिशत खून ब्रेन में आता है। इस नली को सुपिरियर सेजाइटल साइनस कहा जाता है। इसके अलावा खून की एक मोटी नली ट्यूमर के भीतर से जा रही थी। इन परिस्थितियों में ट्यूमर निकालना काफी जटिल और जोखिम भरा होता है। जरा सी चूक पर मरीज की जान भी जा सकती है या मरीज पूर्णतया लकवाग्रस्त भी हो जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह तक हाॅस्पिटल में रखने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। वह अब बिल्कुल स्वस्थ्य है तथा अपना सारा काम स्वयं कर रही है।
डाॅ. कमाली ने बताया कि जब मरीज को मेरे पास लाया गया तो मैंने पहले उसका सीटी स्कैन कराया जिसमें ब्रेन ट्यूमर की बात सामने आयी। तब मैंने ऑपरेशन करने का फैसला किया। चूंकि पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल में सभी तरह के अत्याधुनिक उपकरण, मशीनें और सुविधाएं उपलब्ध है, इसलिए हम आसानी से जटिल और जोखिम भरा ऑपरेशन भी कर पाते हैं। यह भी ज्ञात हो कि दूसरे मेट्रो शहरों की तुलना में यहाॅ का कुल खर्च आधे से भी कम है।
मरीज तथा उसके बेटे वसीम शेख ने सफलतापूर्वक इलाज के पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल तथा डाॅ. कमाली को तहेदिल से धन्यवाद दिया। शेख ने कहा कि हम नहीं सोच पा रहे थे कि मेरी माँ ठीक हो पायेगी पर डाॅ. कमाली ने जोखिम भरा ऑपरेशन कर मेरी लाचार माँ को ठीक कर दिया।