Apr 25, 2022
पटना 25 दिसम्बर 2018: पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, राजा बाजार, पटना के हिमैटोलाॅजी हिमैटो आॅन्कोलाॅजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष तथा बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के विशेषज्ञ डाॅ. अविनाश कुमार ने कहा है कि लोग अक्सर एनीमिया की बीमारी को हल्के में लेते हैं जिसके चलते यह बीमारी घातक रूप ले लेती है। एनीमिया गंभीर बीमारियों जैसे ब्लड कैंसर, थैलेसिमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, मल्टीपल माइलोमा के लक्षण हो सकते हैं। खून चढ़ाना और दवा लेने से इन बीमारियों में कोई फायदा नहीं होता बल्कि इसे यूं भी समझा जा सकता है खून चढ़ाने और दवाइयां लेने से मरीज असमय मृत्यु के कगार पर पहुंच जा सकता है। बीएमटी इन बीमारियों का एकमात्र इलाज है जिसके बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। इन बीमारियों से जूझ रहे लोगों को बीएमटी के लिए प्रयास करना चाहिए। ये बातें उन्होंने आज 05 जनवरी को हाॅस्पिटल परिसर में आयोजित बीएमटी करा चुके लोगों के मिलन समारोह में कही। मिलन समारोह में पारस एचएमआरआई अस्पताल से बीएमटी करा चुके 10 लोग मौजूद थे।
डाॅ. सिंह ने कहा कि पारस एचएमआरआई अस्पताल बिहार-झारखंड का इकलौता अस्पताल है जहां हर तरह का बीएमटी किया जाता है। बीएमटी दो तरह का होता है-आॅटोलोगस और ऐलोजेनिक। यहां विगत दो वर्षों से बीएमटी किया जाता है। अभी तक 10 मरीज यहां बीएमटी करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बीएमटी के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी है ताकि लोग इन घातक बीमारियों से बच सकें। उन्होंने कहा कि लोग खुन की कमी (एनीमिया) को गंभीरता से नहीं लेते हैं और इसका परिणाम होता है बीमारी बढ़ने के कारण मरीज की जान चली जाती है या उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है। डाॅ. सिंह ने कहा कि बिहार में एपलास्टिक एनीमिया के काफी मरीज है, लेकिन 90 फीसदी मरीज बिना बीमएटी के तीन-चार महीने में जान गंवा देते हैं जबकि उनके राज्य के पारस अस्पताल में बीएमटी की सुविधा उपलब्ध है।
मिलन समारोह में आये मरीजों एवं स्टेम सेल डोनर (भाई, बहन) ने अपने अनुभव साझा किये। मरीजों ने बताया कि बीएमटी के कारण उनकी बीमारी पूर्णतः खत्म हो गयी है और आज वे सामान्य जीवन जी रहे हैं। कई मरीजों ने अपने पुराने कामों को करना फिर से शुरू कर दिया है। डोनर नीतीश ने बताया कि वह अपने भाई के लिए स्टेम सेल देकर आज भी काफी खुश है और स्टेम सेल दान से डरने की जरूरत नहीं है। यह रक्तदान की तरह है। इससे लोगों को डरना नहीं चाहिए। इसका डोनर के शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। बीएमटी के लिए बिहार सरकार की ओर से 5 लाख रुपये अनुदान के रूप में मिलते हैं। पारस के अधिकतर मरीजों को यह सुविधा मिली है। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के लिए राज्य सरकार से और अधिक सहायता की अपेक्षा की जा सकती है।
इस मौके पर हाॅस्पिटल के रीजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने कहा कि पारस एचएमआरआई अस्पताल में बीएमटी शुरू हो जाने के कारण बिहार-झारखंड के मरीजों को दिल्ली, मुम्बई जाने की जरूरत नहीं है। हमारे यहां इसके लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है तथा विशेषज्ञ डाॅ. अविनाश कुमार सिंह उपलब्ध है। बिहार से बाहर बीएमटी कराने पर अधिक रकम खर्च करनी पडे़गी। ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले ब्लड कैंसर से पीड़ित तरूण के परिवार ने देश के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगायी थी। उस समय डाॅ. अविनाश कुमार सिंह और पारस अस्पताल ने आगे बढ़कर मरीज के इलाज का बीड़ा उठाया और अब वह स्वस्थ है। इस कार्यक्रम में पारस अस्पताल के बीएमटी यूनीट की एसआर डाक्टर दिव्या कृष्णा भी मौजूद थीं।