Apr 25, 2022
पटना 29 मई 2018: बचपन से लेकर किशोरावस्था तक अगर किसी के शरीर में दायीं या बायीं ओर झुकाव बढ़े तो उसके परिजन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि शरीर में झुकाव तभी आता है जब रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन शुरू होता है। हाल ही में पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषलिटी अस्पताल में एक 13 साल की लड़की की रीढ़ की हड्डी का आॅपरेशन किया गया क्योंकि रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन के कारण उसका शरीर दाहिनी ओर झुकता जा रहा था। इस कारण उसके दोनों कंधों में असमानता भी आ गयी थी। रीढ़ की हड्डी के आॅपरेशन के विशेषज्ञ डाॅ. गौतम आर. प्रसाद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चूंकि पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल में सभी तरह के आधुनिक उपकरण उपलब्ध है, इसलिए इस तरह का जटिल आॅपरेशन यहां आसानी से कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीने से लड़की तकलीफ में थी क्योंकि रीढ़ की हड्डी के टेढ़ापन के कारण उसकी छाती और पीठ टेढ़ी होती जा रही थी। उसकी रीढ़ की हड्डी एक ही स्थान पर टेढ़ी थी, फिर भी उसे काफी तकलीफ महसूस हो रही थी। टेढ़ापन दूर करने के लिए साढ़े तीन घंटे चले आॅपरेशन में उसकी हड्डी की काट-छांट की गयी तथा नट-बोल्ट लगाया गया तब जाकर हड्डी सीधी हुई। पारस में उपलब्ध न्यूरो माॅनिटरिंग सिस्टम, नैविगेशन सिस्टम तथा आधुनिक सी-आर्म की मदद से यह आॅपरेशन संभव हो पाता है।
डाॅ. गौतम बताते हैं कि टेढ़ापन बढ़ने से सीधा चलना मुश्किल हो जाता है जिससे कई तरह की समस्याएं आ सकती है। कई बार टेढ़ापन के कारण नस में खराबी आने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि हल्का-फूल्का टेढ़ापन को बेल्ट बांधने और कसरत के जरिये ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर टेढ़ापन ज्यादा हो तो आॅपरेशन ही एक मात्र इलाज रह जाता है। इस बीमारी का नाम है स्कोलियोसिस, यह मां के पेट से ही शुरू हो जाता है। यदि बच्चे की हड्डी माॅ के पेट में ठीक से ना बढ़े तो, इसे कंजेनाईटल स्कोलियोसिस कहा जाता है। दूसरा है एडोल्सेट इडियोपैथिक सकोलियोसिस। यह 7 से 10 वर्ष उम्र के बीच शुरू होता है। टेढ़ापन की जानकारी शुरूआती दौर में नहीं मिल पाती है। अधिकतर मरीजों में कम टेढ़ापन पाया जाता है। जिन गिने-चुने मरीजों में अधिक टेढ़ापन रहता है या तेजी से टेढ़ापन बढ़ता है उन्हें आॅपरेषन की आवष्यकता होती है। आॅपरेशन का मुख्य उद्देश्य है टेढ़ापन को दूर करना और उसे आगे बढ़ने से रोकना।