Apr 25, 2022
गुड़गांव, 23 मार्च 2018ः पारस अस्पताल, गुड़गांव द्वारा अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति ट्रांसकैथेटर आॅर्टिक वाॅल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) की उन्नत प्रक्रिया के माध्यम से सामान्य वाॅल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी के अनुपयुक्त मरीज में टांका रहित वाॅल्व रिप्लेसमेंट किया गया, इसी के साथ पारस अस्पताल आईवी लीग आॅफ हाॅस्पिटल की श्रेणी में जुड़ गया है। 15 वर्ष पहले किसी को बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वाॅल्व रिप्लेसमेंट की बात करने पर मजाक के पात्र हो सकते थे, लेकिन आज यह संभव है और पारस अस्पताल के डाॅक्टरों ने यह करिष्मा कर दिखाया, जहां विषेषज्ञ डाॅक्टरों ने नसों को चीर फाड़ किए बिना सफलतापूर्वक आॅपरेषन को अंजाम दिया। कार्डियोलाॅजी इंटरवेंषनल के एसोसिएट डायरेक्टर डाॅ. अमित भूषण शर्मा और सीटीवी के चीफ डाॅ. महेष वाधवाणी की अगुवाई वाली हृदय रोग विषेषज्ञ टीम ने पारस अस्पताल गुड़गांव में 20 मार्च 2018 को हार्ट वाॅल्व के गंभीर संकुचन से पीड़ित जम्मू से स्थानांतरित मरीज का इस तकनीक के जरिये सफल आॅपरेषन कर इस सपने को सच्चाई में बदल दिया और मरीज को नया जीवन दिया।
मरीज को कई बार गंभीर हृदयघात हो चुका था और जम्मू के अस्पतालों व डाॅक्टरों ने मरीज की सर्जरी करने से मना कर दिया था। पारस अस्पताल गुड़गांव देष के उन चुनिंदा अस्पतालों में है, जहां इस तरह की सर्जरी सफलतापूर्वक की जाती है। देष में, कुछ ही अस्पताल इस तरह की आधुनिनक तकनीक और प्रषिक्षित मेडिकल स्टाफ से लैस है, जहां टीएवीआर तकनीक के माध्यम से सफल सर्जरी की गई है। इस वजह से भारत में आज तक केवल 25-30 इस तरह की सर्जरी हुई है। यह प्रक्रिया आमतौर पर पश्चिम के देषों में फस्र्ट लाइन थेरेपी के रूप में इस्तेमाल की जाती है और पश्चिमी यूरोप में जर्मनी और नीदरलैंड जैसे स्थानों पर इसका इस्तेमाल एसएवीआर (सर्जिकल महाधमनी वाल्व रिप्लेसमेंट) के तौर पर किया जाता है, लेकिन भारत में जागरूकता और कुशल डॉक्टरों की कमी तथा पर्याप्त बुनियादी ढांच के अभाव के कारण यह आाॅपरेषन अत्याधिक कठिन है।
पारस अस्पताल गुड़गांव के कार्डियोलाॅजी इंटरवेंषनल के एसोसिएट डायरेक्टर डाॅ. अमित भूषण शर्मा का कहना है कि पारस अस्पताल, हमेशा अपने आप को उन्नत मेडिकल शिक्षा, उच्च ज्ञान, बुनियादी ढांचे और तकनीक से उन्नत बनाने में विश्वास करता है, ताकि रोगियों को प्रीमियम गुणवत्ता देखभाल प्रदान की जा सके। इसी का नतीजा है कि 64 वर्षीय अषोक शर्मा का टीएवीआर तकनीक के जरिये हृदय की सर्जरी की गई। जब ये अस्पताल में आए थे, तो इनके लिए कुछ कदम चलना भी बहुत मुष्किल था, लेकिन इस सर्जरी के 36 घंटे के अंदर अब सभी सामान्य काम पूरे होष में करने मंे सक्षम है। वो इस सफलता के लिए हृदय विषेषज्ञ की टीम इंटरेवेंषनल काॅडिर्याेलाॅजिस्ट, कार्डियक सर्जन, इको टीम, रेडियोलाॅजी टीम के साथ सहयोगी टीम कार्डियक एनेस्थेटिस्ट एवं अन्य को बधाई देते है।
सीटीवी के चीफ डाॅ. महेष वाधवाणी कहते हैं, इस टीएवीआर तकनीक में पूरी प्रक्रिया जांघ के पास मौजूद सबसे बड़ी धमनी के माध्यम से गुजरता है (वहीं धमनी जो स्टेंट के लिए प्रयोग किया जाता है)। इसे ट्रांस-फेमोरल दृष्टिकोण कहा जाता है और वाल्व को सिर्फ एक स्टेंट की तरह पहुंचाया जाता है। विष्व की दो सबसे उन्नत तकनीक – सेल्फ एक्सपैंडिंग वाॅल्व और बैलून एक्सपैंडिंग वाॅल्व दोनों पारस अस्पताल, गुड़गांव में उपलब्ध हैं। इन सभी तकनीक को हृदय के अंदर मिलीमीटर चैड़े क्षेत्र में संपन्न किया जाता है। यह अनुभव और उच्च तकनीक के जरिये मरीज को बेहतर जीवन देने की प्रतिबद्धता को दर्षाता है।
इस तकनीक के कई फायदे है। इसमें मरीज तेजी से स्वस्थ्य होता है। इंफेक्षन की संभावना कम है। कम दर्द होता है। कम समय अस्पताल में रूकना पड़ता है। सर्जरी के निषान बिलकुल छोटे होते है। यह यूएस एफडीए द्वारा महाधमनी स्टेनोसिस के लिए स्वीकृत है, इसका मतलब है कि हृदय के प्रमुख वाल्व में रक्त के प्रवाह की रोकथाम और विशेष रूप से उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया है, जिनके लिए मानक वाॅल्व रिप्लेसमेंट जोखिम भरा है।
पारस अस्पताल गुड़़गांव अपने यह अत्याधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी के जरिये आपके दिल को नए रूप में अच्छी तरह से रखने में सक्षम है।