Apr 25, 2022
पटना, 03 फरवरी, 2018। विश्व कैंसर दिवस के मौके पर रविवार 4 फरवरी को पारस कैंसर सेंटर के डायरेक्टर डाॅ. जे.के. सिंह ने कहा कि कैंसर को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता लानी होगी, उन्हें शिक्षित करना पड़ेगा तथा उसके इलाज व रोकथाम की व्यवस्था करनी पड़ेगी। कैंसर पर नियंत्रण पाने के लिए तम्बाकू पदार्थों का सेवन अगर सरकार रोक दे तो 80 से 85 प्रतिशत कैंसर के मरीज कम हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कैंसर की शुरूआती दौर में पहचान हो जाए तो यह ठीक हो सकता है। इसलिए हर किसी को साल में एक बार अपने शरीर की पूरी जांच करानी चाहिए। चूंकि शुरू में यह बीमारी पकड़ में नहीं आ पाती है, इसलिए इसके ज्यादा मौतें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति वर्ष 15 लाख कैंसर के नये मरीज पाये जाते हैं जबकि बिहार में 80 से 90 हजार नये मरीज पाये जाते हैं।
हाॅस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ. शेखर कुमार केसरी ने कहा कि भारत में बढ़ते कैंसर रोग पर नियंत्रण पाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। केवल सरकारी प्रयास, एक संगठन की कोशिश या किसी ऐजेंसी की बदौलत इस रोग पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। इंटरनेशनल यूनियन एगेंस्ट कैंसर (यू.आई.सी.सी.) मे 2016-2018 तक कैंसर पर नियंत्रण पाने के लिए वी कैन, आई कैन का थीम दिया था। इसका मतलब है कि कैंसर पर बिना साझा प्रयास के नियंत्रण संभव नहीं है। साझा प्रयास से मतलब है कि देश के सभी लोग जब तम्बाकू पदार्थों का सेवन बंद नहीं करेंगे तब तक इस पर नियंत्रण पाना मुश्किल है। तम्बाकू, बीड़ी, गुटखा आदि पर नियंत्रण पाने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
विश्व कैंसर दिवस के मौके पर रविवार को पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ. शेखर कुमार केसरी ने कहा कि तम्बाकू सेवन कैंसर का कारण बनता है, इसलिए स्कूल स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि इस अवस्था में अगर बच्चे तम्बाकू सेवन के खतरे से डर जायेंगे तो न वे अपने इसका सेवन करेंगे न ही अपने अभिभावक या आसपास के लोगों को इसका सेवन करने देंगे। उन्होंने कहा कि 80 से 85 प्रतिशत कैंसर तम्बाकू पदार्थों के सेवन से होता है, इसलिए तम्बाकू का सेवन रोकना अनिवार्य है। इसके अलावा 10-15 प्रतिशत कैंसर अनुवांशिक, गंदे जल के सेवन तथा रसायन युक्त पेय पदार्थ के सेवन से होता है। अनुवांशिक वाले कैंसर में ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया), बच्चों में होने वाले आंस के कैंसर रेटिनोब्लास्टोमा तथा पेट का कैंसर न्यूरो ब्लास्टेमा तथा स्तन कैंसर शामिल हैं। स्तन कैंसर के शुरूआती दौर में पकड़ में आ जाने पर इसके ठीक होने की पूरी संभावना रहती है। इसलिए 35 वर्ष की अवस्था के बाद महिलाओं को अपने स्तन में किसी प्रकार की गांठ, सूजन तथा रिसाव से प्रति सर्तक रहना चाहिए।
विश्व कैंसर दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल द्वारा माउंट लिटरा वैली स्कूल में कैंसर के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया जिसमें डाॅ. केसरी ने बच्चों को तम्बाकू सेवन से बचने की सलाह दी और अपने आसपास के लोगों को इसका सेवन मना करने के लिए अभियान चलाने में मदद करने की अपील की।
पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल के जेनरल सर्जरी के डायरेक्टर और जाने-माने सर्जन डाॅ. ए.ए. हई ने कहा कि विश्व में बढ़ रहे कैंसर के मामले न सिर्फ सर्जन और मेडिकल कम्युनिटी के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए शहरी चिंता का विषय बनता जा रहा है। लोगों को मेडिकल सुविधाएं देने वाली सरकारी हो, निजी स्वास्थ्य प्रदाता हो, वित्तीय योजना बनाने वाले हो, गांव के किसान हों या फिर बढ़े उद्योगपति क्यों न हो, सारे के सारे लोग इस बीमारी को बढ़ते ट्रेड से चिंतित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा कैंसर के रिसर्च और इलाज से जुड़ी अंर्तराष्ट्रीय संस्थाओं ने कैंसर महामारी की चेतावनी दी है। कैंसर के मरीज और उनके परिजन आर्थिक दोनों के तले दबते जा रहें हैं।